गणेश पुराण – 1
प्राचीन काल की बात है।
नैमिषारण्य क्षेत्र में ऋषि-महर्षि और साधु-सन्तों का समाज एकत्रित हुआ था।
उसमें श्रीसूतजी भी विद्यमान थे।
शौनक जी ने उनकी सेवा में उपस्थित होकर निवेदन किया कि,
‘हे अज्ञान रूप घोर तिमिर को नष्ट करने में, करोड़ों सूर्यों के समान प्रकाशमान श्रीसूतजी!
हमारे कानों के लिए, अमृत के समान जीवन प्रदान करने वाले कथा तत्त्व का वर्णन कीजिए।”