Stuti – Prarthana – Upasana
स्तुति का अर्थ है – किसी भी पदार्थमें स्थित उसके गुणोंका यथोचित रूपमें वर्णन करना। इस दृष्टिसे जब कोई कहता हैं कि –
स्तुति का अर्थ है – किसी भी पदार्थमें स्थित उसके गुणोंका यथोचित रूपमें वर्णन करना। इस दृष्टिसे जब कोई कहता हैं कि –
कल्प (प्रलय) के अन्त में
सम्पूर्ण जगत् जल में डूबा हुआ था।
सबके प्रभु भगवान विष्णु
शेषनाग की शय्या बिछाकर
योगनिद्रा का आश्रय ले शयन कर रहे थे।
Mahakali Avtaar Katha – माँ दुर्गा के महाकाली महामाया की अवतार कथा Read More »
प्रार्थनासे बुद्धि शुद्ध होती है। देवताओंकी प्रार्थनासे दैवीशक्ति प्राप्त होती है।
प्रार्थना हृदयसे होनी चाहिये। निरन्तर, आदरपूर्वक, दीर्घकालतक होनेसे वह सफल होती है।
प्रार्थना करनेसे शारीरिक क्लेशोका भी शमन होता है और कामना की पूर्ती होती है।