Sunderkand – Audio + Chaupai – 01
जामवंत के बचन सुहाए।
सुनि हनुमंत हृदय अति भाए॥
तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई।
सहि दुख कंद मूल फल खाई॥
जामवंत के बचन सुहाए।
सुनि हनुमंत हृदय अति भाए॥
तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई।
सहि दुख कंद मूल फल खाई॥
सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को
मिल जाये तरुवर की छाया।
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है,
मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम॥
Suraj Ki Garmi Se Jalte Huye Tan Ko – Lyrics in Hindi Read More »
सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को
मिल जाये तरुवर की छाया।
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है,
मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम॥
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सच्ची है तू, सच्चा तेरा दरबार, माता रानिये
करदे दया की एक नज़र एक बार, माता रानिये
क्या गम है, कैसी उलझन,
जब सर पे तेरा हाथ है
हर दुःख में हर संकट में,
माता तू हमारे साथ है
Sachi Hai Tu Saccha Tera Darbar – Lyrics in Hindi Read More »
सच्ची है तू, सच्चा तेरा दरबार, माता रानिये
करदे दया की एक नज़र एक बार, माता रानिये
क्या गम है, कैसी उलझन,
जब सर पे तेरा हाथ है
हर दुःख में हर संकट में,
माता तू हमारे साथ है
Sachi Hai Tu Saccha Tera Darbar – Lyrics in English Read More »
सुनहु पवनसुत रहनि हमारी।
जिमि दसनन्हि महुँ जीभ बिचारी॥
तात कबहुँ मोहि जानि अनाथा।
करिहहिं कृपा भानुकुल नाथा॥
तब देखी मुद्रिका मनोहर।
राम नाम अंकित अति सुंदर॥
चकित चितव मुदरी पहिचानी।
हरष बिषाद हृदयँ अकुलानी॥
सुनि सुत बध लंकेस रिसाना।
पठएसि मेघनाद बलवाना॥
मारसि जनि सुत बाँधेसु ताही।
देखिअ कपिहि कहाँ कर आही॥