Jhini Jhini Bini Chadariya
झीनी झीनी बीनी चदरिया
काहे का ताना काहे की भरनी।
कौन तार से बीनी चदरिया॥
इदा पिङ्गला ताना भरनी।
सुषुम्ना तार से बीनी चदरिया॥
झीनी झीनी बीनी चदरिया
काहे का ताना काहे की भरनी।
कौन तार से बीनी चदरिया॥
इदा पिङ्गला ताना भरनी।
सुषुम्ना तार से बीनी चदरिया॥
मन लाग्यो मेरो यार, फ़कीरी में
जो सुख पाऊँ नाम भजन में
सो सुख नाहिं अमीरी में
आखिर यह तन ख़ाक मिलेगा
कहाँ फिरत मग़रूरी में
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु
किरपा कर अपनायो
जनम जनम की पूंजी पाई
जग में सभी खोवायो
श्याम मने चाकर राखो जी,
चाकर रहसूं बाग लगासूं,
नित उठ दरसण पासूं।
वृन्दावन की कुंजगलिन में
तेरी लीला गासूं॥
जाके सिर मोर मुकुट, मेरो पति सोई।
तात मात भ्रात बंधु, आपनो न कोई॥
कोई कहे कारो, कोई कहे गोरो
लियो है अँखियाँ खोल
जागो बंसीवारे ललना,
जागो मोरे प्यारे॥
रजनी बीती भोर भयो है
घर घर खुले किवारे |
अब मैं सरण तिहारी जी,
मोहि राखौ कृपा निधान॥
मीरा दासी शरण तिहारी,
सुनिये दोनों कान॥
दरद की मारी बन-बन डोलूं
बैद मिल्या नहिं कोय।
मीरा की प्रभु पीर मिटेगी
जद बैद सांवरिया होय॥