Mukunda Mukunda Krishna – Krishna Bhkati Song
मुकुंदा मुकुंदा, कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा
मुझे दान में दे वृंदा, विरिन्दा विरिन्दा।
मटकी से माखन फिर से चुरा,
गोपियों का विरह तू आके मिटा॥
मुकुंदा मुकुंदा, कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा
मुझे दान में दे वृंदा, विरिन्दा विरिन्दा।
मटकी से माखन फिर से चुरा,
गोपियों का विरह तू आके मिटा॥
शान्ताकारं भुजगशयनं
पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं
मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
भाया मोहन का रूप,
जोड़ा रिश्ता अनूप,
कोई दूजा स्वरुप, मीरा माने ना