आरती माँ आरती, नवदुर्गा तेरी आरती
आरती माँ आरती,
नव दुर्गा तेरी आरती।
आरती माँ आरती,
नव दुर्गा तेरी आरती।
नव रातो में नव रूपों की,
पूजा करते भारती।
जो भी पूजे नौ दिन
दुर्गे माता कष्ट निवारती॥
आरती माँ आरती, नवदुर्गा तेरी आरती।
आरती माँ आरती, नवदुर्गा तेरी आरती॥
प्रथम रूप में शैलपुत्री,
हिम पर्वत की बेटी।
कलश करे स्थापित,
माँ दुखड़े हर लेती।
निश्चय करके व्रत जो रखते,
उनको मैय्या तारती॥
आरती माँ आरती नव दुर्गा तेरी आरती
आरती माँ आरती नव दुर्गा तेरी आरती
ब्रह्मचारिणी रूप दूसरा,
माँ तप करने वाली।
ज्योतिर्मय है भव्य रूप माँ,
हस्त कमंडल धरी।
ध्यावे जो माँ को
उनके काज संवारती॥
आरती माँ आरती, नवदुर्गा तेरी आरती।
आरती माँ आरती, नवदुर्गा तेरी आरती॥
चंद्रघंटा माँ तीसरी शक्ति
रूप है मंगल कारी।
मस्तक चंदा, शस्त्र हाथ में
करती शेर सवारी।
युद्ध को आतुर निर्भय देवी,
दुष्टों को संहारती॥
आरती माँ आरती, नव दुर्गा तेरी आरती।
आरती माँ आरती, नव दुर्गा तेरी आरती॥
कुष्मांडा माँ चौथी मैय्या,
जग को रचने वाली।
अन्धकार में माँ की हंसी,
सृष्टि रोशन कर डाली॥
सारे जहां की ऋद्धियाँ सिद्धियां,
भक्त की झोली डालती॥
आरती माँ आरती, नव दुर्गा तेरी आरती।
आरती माँ आरती, नव दुर्गा तेरी आरती॥
पंचम रूप स्कन्दमाता,
चार भुजाओं वाली।
वाहन इसका सिंहबोध,
भगवान खिलाने वाली।
माँ की पूजा करता जो है,
पुत्र की तरह दुलारती॥
आरती माँ आरती, नवदुर्गा तेरी आरती।
आरती माँ आरती, नवदुर्गा तेरी आरती॥
कात्यायनी माँ छटा रूप है,
ब्रज मंडल की देवी।
रूप ना जिसका वरणा जाए,
अभय दान है देती।
चारो फल पूजा के मिलते,
तेज की होती प्राप्ति॥
आरती माँ आरती, नवदुर्गा तेरी आरती।
आरती माँ आरती, नवदुर्गा तेरी आरती॥
सप्तम काली कालरात्रि,
गले चमकती माला।
हाथ में माँ के खंडा चमके,
स्वासो में है ज्वाला।
दुष्ट दलन है करती माता,
भक्तो को उबारती॥
आरती माँ आरती, नव दुर्गा तेरी आरती।
आरती माँ आरती, नव दुर्गा तेरी आरती॥
अष्टम शक्ति चंद्र सामना,
गौरवर्ण महागौरी।
श्वेत वस्त्र है श्वेत आभूषण,
बैल की करे सवारी।
पाप ताप संताप मिटाती,
नैय्या पार उतरती॥
आरती माँ आरती, नव दुर्गा तेरी आरती।
आरती माँ आरती, नव दुर्गा तेरी आरती॥
नौवा रूप एक तेज पुंज है,
नारी रूप बनाया।
सभी शक्तियां मिल के,
भगवती दुर्गा रूप बनाया।
शेर सवारी सारी खुशियां,
भक्तो पे है वारती॥
आरती माँ आरती, नवदुर्गा तेरी आरती।
आरती माँ आरती, नवदुर्गा तेरी आरती॥
जो भी करे नित माँ की पूजा,
प्रेम से ज्योत जगाये।
जब भी कोई संकट दिखता,
माँ ही पार लगाए।
भक्तो को बिन मांगे मिलता,
गा कर माँ की आरती॥
आरती माँ आरती, नवदुर्गा तेरी आरती।
आरती माँ आरती, नवदुर्गा तेरी आरती॥
नव रातो में नव रूपों की, पूजा करते भारती।
आरती माँ आरती, नव दुर्गा तेरी आरती।
आरती माँ आरती,
नव दुर्गा तेरी आरती।
Aarti Maa Aarti Navdurga Teri Aarti
Lakhbir Singh Lakkha
Durga Bhajan
- अम्बे तू है जगदम्बे काली - दुर्गा माँ की आरती
- या देवी सर्वभूतेषु मंत्र - दुर्गा मंत्र - अर्थ सहित
- अयि गिरिनंदिनि - महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र
- जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
- दुर्गा चालीसा - नमो नमो दुर्गे सुख करनी
- जगजननी जय जय माँ - अर्थसहित
- जगजननी जय जय माँ, जगजननी जय जय
- आरती जगजननी मैं तेरी गाऊं
- आये तेरे भवन, देदे अपनी शरण
- भोर भई दिन चढ़ गया, मेरी अम्बे
- मन लेके आया मातारानी के भवन में
- माँ जगदम्बा की करो आरती
- आरती माँ आरती, नवदुर्गा तेरी आरती
- मंगल की सेवा सुन मेरी देवा - कालीमाता की आरती
- मात अंग चोला साजे, हर एक रंग चोला साजे
- धरती गगन में होती है, तेरी जय जयकार
- अयि गिरिनन्दिनि अर्थसहित - महिषासुरमर्दिनी स्तोत्र अर्थ सहित
- दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी
- कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे
- तेरे दरबार में मैया ख़ुशी मिलती है
- सच्ची है तू सच्चा तेरा दरबार
- मन तेरा मंदिर आखेँ दिया बाती
- चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है
- तुने मुझे बुलाया, शेरावालिये