खुशहाल करती, माला माल करती
जय माता दी.., जय माता दी..
जय माता दी
खुशहाल करती, माला माल करती
शेरावाली, अपने भक्तो को निहाल करती
शेरावाली अपने भक्तो को निहाल करती
ओ शेरावाली, अपने भक्तो को निहाल करती
अम्बे रानी वरदानी देती, खोल के भंडारे
झोली ले गया भराके, आया चल के जो द्वारे
अम्बे रानी वरदानी देती, खोल के भंडारे
झोली ले गया भराके, आया चल के जो द्वारे
नहीं ताल करती तत्काल करती
ओ शेरावाली अपने भक्तो को निहाल करती
शेरोवाली अपने भक्तो को निहाल करती
हर दुःख जाए टल, हर मुश्किल हो हल
झोपड़ी से हो महल, नहीं लागे एक पल
हर दुःख जाए टल, हर मुश्किल हो हल
झोपड़ी से हो महल, नहीं लागे एक पल
माँ कमाल करती, बेमिसाल करती
माँ कमाल करती, बेमिसाल करती
ओ शेरोवाली अपने भक्तो को निहाल करती
शेरोवाली अपने भक्तो को निहाल करती
माँ के नाम वाला अमृत जो पिलो एक बार
होगा बाल ना बांका चाहे बैरी हो संसार
माँ के नाम वाला अमृत जो पीले एक बार
होगा बाल ना बांका चाहे बैरी हो संसार
रक्षा आप सरल बन ढाल करती
ओ शेरावाली अपने भक्तो को निहाल करती
शेरावाली अपने भक्तो को निहाल करती
खुशहाल करती माला माल करती
ओ शेरावाली अपने भक्तो को निहाल करती
शेरावाली अपने भक्तो को निहाल करती
अम्बे रानी अपने भक्तो को निहाल करती
शेरावाली अपने भक्तो को निहाल करती
वैष्णो रानी अपने भक्तो को निहाल करती
शेरावाली अपने भक्तो को निहाल करती
मनसा देवी अपने भक्तो को निहाल करती
शेरावाली अपने भक्तो को निहाल करती
नैना देवी अपने भक्तो को निहाल करती
शेरावाली अपने भक्तो को निहाल करती
चिन्तपुरी अपने भक्तो को निहाल करती
शेरावाली अपने भक्तो को निहाल करती
शीतला माई अपने भक्तो को निहाल करती
शेरावाली अपने भक्तो को निहाल करती
लाटावाली अपने भक्तो को निहाल करती
शेरावाली अपने भक्तो को निहाल करती
शेरावाली अपने भक्तो को निहाल करती
शेरावाली अपने भक्तो को निहाल करती
Sherawali Apne Bhakto Ko Nihal Karti
Durga Bhajan
- अम्बे तू है जगदम्बे काली - दुर्गा माँ की आरती
- या देवी सर्वभूतेषु मंत्र - दुर्गा मंत्र - अर्थ सहित
- अयि गिरिनंदिनि - महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र
- जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
- दुर्गा चालीसा - नमो नमो दुर्गे सुख करनी
- जगजननी जय जय माँ - अर्थसहित
- जगजननी जय जय माँ, जगजननी जय जय
- आरती जगजननी मैं तेरी गाऊं
- आये तेरे भवन, देदे अपनी शरण
- भोर भई दिन चढ़ गया, मेरी अम्बे
- मन लेके आया मातारानी के भवन में
- माँ जगदम्बा की करो आरती
- आरती माँ आरती, नवदुर्गा तेरी आरती
- मंगल की सेवा सुन मेरी देवा - कालीमाता की आरती
- मात अंग चोला साजे, हर एक रंग चोला साजे
- धरती गगन में होती है, तेरी जय जयकार
- अयि गिरिनन्दिनि अर्थसहित - महिषासुरमर्दिनी स्तोत्र अर्थ सहित
- दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी
- कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे
- तेरे दरबार में मैया ख़ुशी मिलती है
- सच्ची है तू सच्चा तेरा दरबार
- मन तेरा मंदिर आखेँ दिया बाती
- चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है
- तुने मुझे बुलाया, शेरावालिये