Sant Kabir ke Dohe – Bhakti + Meaning in Hindi

– कामी क्रोधी लालची, इनसे भक्ति ना होय।
– भक्ति बिन नहिं निस्तरे, लाख करे जो कोय।
– भक्ति भक्ति सब कोई कहै, भक्ति न जाने भेद।
– भक्ति जु सीढ़ी मुक्ति की, चढ़े भक्त हरषाय।

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Sangati – Kabir Dohe – Hindi

कबीर संगत साधु की, नित प्रति कीजै जाय।
कबीर संगत साधु की, जौ की भूसी खाय।
संगत कीजै साधु की, कभी न निष्फल होय।
संगति सों सुख्या ऊपजे, कुसंगति सो दुख होय।

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Satguru – Kabir Dohe – Hindi

– सतगुरु सम कोई नहीं, सात दीप नौ खण्ड।
– सतगुरु तो सतभाव है, जो अस भेद बताय।
– तीरथ गये ते एक फल, सन्त मिले फल चार।
– सतगुरु खोजो सन्त, जोव काज को चाहहु।

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